हे नीर !  

हे नीर !

“माँ” कहा तुझको हमने,

जीवन दान लिया हमने !

बहाकर अपने, पापों को, तुझमे !

जीवन का उध्धार किया, सबने !

“माँ” है, तू !

पाप हमारे लेती रही,

हमको जीवन देती रही !

अपना मैला तन- मन, तुझमे हम सब धोतेरहे!

तेरे आँचल को हम सब, बंज़र- सूखा करते रहे!

तेरी कृष काया पे, जीवन के नये अंकुर,

कैसे रोपे हम?

तुझको कैसे बचा सके “निधि” सोचे यह?

एक सार्थक प्रयास हमारा,

तेरा आशीर्वाद दे जाएगा,

जीवन के नये रूप,

जल, थल, गगन को दे जाएगा !

जीवन का अमृत, नीर !

जीवन का सरगम सुनाएग !

तेरे आँचल मे माँ !

सरल, सुलभ, सुंदर जीवन राग

फिर गुनगुनाएगा !

14/4/18

7am-9am

#Join our hands together to save

#NallagandalaLakeHyderabad

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